देवघर में बिल्ली फंसी अंबेडकर और परशुराम के नाम पर कुछ को बिल्ली से गर्व कुछ को शर्म
देवघर जिला के मधुपुर अनुमंडल छेत्र के गोनेया पंचायत के एक गांव का ऐसा नाम है जिसे कुछ लोग गांव के नाम को लेने में शरमाते हैं गांव का नाम लेने में लोगों को शर्म आता है वही उसी गांव के कुछ लोग हैं जो गर्व से अपने गांव का नाम लेते हैं और कहते हैं हमारे पूर्वजों ने जो नाम रखा है उस पर हमलोगों को गर्व होता है |
हम बात कर रहे मधुपुर प्रखंड क्षेत्र के गोनेया पंचायत के बिल्ली गांव की बिल्ली गांव में करीब 1500 लोग रहते हैं और तीन टोला में बटा हुवा हैं जिसमें अलग अलग समुदाय के लोग भी रहते हैं कुछ लोग हैं जिसका कहना है कि बिल्ली नाम हमलोगो के पूर्वजों ने रखा उस समय की कुछ अलग प्रस्थिति रही होगी उस समय गांव में बहुत कम पढ़े लिखें लोग थे लेकिन अब इस गांव में बहुत से युवा नोकरी कर रहे हैं और बिल्ली नाम को सुनकर अच्छा नहीं लगता है उसे बदलने की मांग युवा वर्ग कर रहे हैं वही दुसरा पक्ष का कहना की नाम हमारे पूर्वजों ने रखा है हम नाम बदलकर उसका अपमान नही करना चाहते हैं और बल्ली नाम लेने से हमलोगों को सम्मान भी मिलता है साथ ही नाम नही बदलने के पीछे एक डर भी हैं की सारे जमीन का पेपर बिल्ली गांव के नाम से हैं बच्चों का सर्टिफिकेट बिल्ली नाम से हैं अगर बदल जाएगा तो कैसे होगा इसलिए नाम नही बदलना चाहिए बिल्ली गांव के नाम को लेकर पुरा गांव दो पक्षों में बटने के पीछे की असली वजह नए नाम को लेकर भी है जिस समुदाय के द्वारा नाम बदलने की मांग उठाई है उसका कहना हैं बिल्ली गांव का नया नाम अंबेडकर गांव होना चाहिए वही दूसरे समुदाय के लोग जो कह रहे हैं नाम नही बदलना चाहिए वो लोग चाह रहे हैं बिल्ली गांव का नाम परशुराम गांव होना चाहिए अंबेडकर ग्राम और परशुराम गांव के विवाद में पंचायत के मुखिया ने कहा इस पर कार्यकारणी की बैठक की जाएगी और नए नाम को लेकर विचार किया जाएगा साथ ही झारखंड सरकार के पर्यटन मंत्री हफीजुल हसन ने कहा की इस विषय में हमसे किसी ने संपर्क नही किया है और अगर कोई मांग कर रहा है तो उस पर विचार किया जाएगा उन्होने कहा की नाम बदलने में बहुत खर्च भी है बहुत कठिनाई भी है लेकीन अगर ग्रामीणों की मांग हैं तो यह नामुमकिन भी नही है